राज्य कर प्रदेश के कर राजस्व का महत्वपूर्ण विभाग है। दिनांक 01.07.2017 से वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक समेकित कर के रूप में माल एवं सेवा कर (जी0एस0टी0) लागू हुआ तदुपरान्त जी0एस0टी0 से आच्छादित वस्तुओं एवं सेवाओं पर जी0एस0टी0 राजस्व जमा हो रहा है, जून, 2017 तक देय वैट, सी0एस0टी0 व प्रदेश कर अधिनियम के अन्तर्गत राजस्व जमा हुआ है। पेट्रोल, डीजल, क्रूड आयल, वायुयान ईधन, नेचुरल गैस, मानवीय उपयोग हेतु शराब जी0एस0टी0 से आच्छादित नहीं है, इसलिये उक्त वस्तुए नॉन जी0एस0टी0 के अन्तर्गत हैं और इन पर पूर्व की भांति वैट राजस्व जमा हो रहा है।
वर्ष 2019-20 में जी0एस0टी0 एवं वैट का समेकित राजस्व रू0 72931.36 करोड़ संग्रहीत हुआ है। वर्ष 2020-21 का वार्षिक लक्ष्य रू0 91568 करोड़ है।
राज्य कर विभाग में कर व्यवस्था के विकास के विभिन्न सोपानः-:
- बहुसूत्रीय कर प्रणाली का सूत्रपात वर्ष 1948 में किया गया था, वर्ष 1952 में कुछ विशिष्ट वस्तुओं को एक सूत्रीय प्रणाली के अन्तर्गत लाया गया तथा वर्ष 1975 में बहुसूत्रीय कर प्रणाली समाप्त कर एक सूत्रीय कराधान की व्यवस्था की गयी।
- विशेष अनुसंधान शाखा की प्रथम इकाई कानपुर में वर्ष 1954 में खोली गयी।
- बिक्रीकर अधिकरण का गठन वर्ष 1980 में किया गया।
- वर्ष 1994 में दि0 01.06.1994 से बिक्रीकर के स्थान पर व्यापार कर कर दिया गया।
- प्रवेश कर वर्ष 1999 में लागू किया गया।
- फ्लोर रेट प्रणाली वर्ष 2000 में लागू की गयी, नई इकाईयों की छूट समाप्त की गयी।
- वर्ष 2000-01 से विभाग में पंजीकृत व्यापारियों के लिए व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना लागू।
- वर्ष 2000-01 से मोटर स्प्रिट की बिक्री पर प्राप्त होने वाला व्यापार कर राज्य आबकारी विभाग उत्तर प्रदेश से व्यापार कर विभाग को हस्तान्तरित।
- वर्ष 2005-06 में मई 2005 से विकास कर अरोपित किया गया जो वैट लागू होने के पूर्व दिसम्बर 2007 तक प्रभावी।
- वर्ष 2007-08 में दि0 01.01.2008 से उ0प्र0 मूल्य संवंर्धित कर प्रणाली (वैट) लागू किया गया।
- दि0 30/31 जुलाई 2009 की रात्रि से प्रदेश की राज्य कर चेक पोस्ट व्यवस्था समाप्त।
- वर्ष 2009-10 में राज्य कर राजस्व संग्रह के लिए ई-पेमेंट सुविधा एसबीआई तथा पीएनबी द्वारा प्रारम्भ की गयी। वर्ष 2009-10 में रू0 1 करोड़ से ऊपर टर्नओवर के व्यापारियों हेतु ई-रिटर्न का प्रावधान किया गया।
- दिनांक 01.07.2017 से जी0एस0टी0 अधिनियम लागू किया गया।
- दिनांक 01.04.2018 से इण्टरस्टेट परिवहन के लिये नेशनल ई-वे बिल लागू किया गया।
- दिनांक 15.04.2018 से इण्ट्रास्टेट परिवहन के लिये ई-वे बिल लागू किया गया।
- दिनांक 01.04.2019 से जीएसटी के अन्तर्गत पंजीयन की सीमा रू0 20 लाख से बढ़ाकर रू0 40 लाख तथा समाधान के व्यापारियों की सीमा रू0 1 करोड़ से बढ़ाकर रूद्ध 1.50 करोड़ किया गया।
- दिनांक 01.04.2019 से सेवाक्षेत्र के रू0 50 लाख टर्नओवर तक के व्यापारियों के लिए समाधान योजना 5 प्रति0 की समाधान योजना लायी गयी।
- शासनादेश दिनांक 28.12.2018 द्वारा उ0प्र0 व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन।
मिशन
- ’’भ्रमरा इव पादपम्’’
उद्देश्य
- जी0एस0टी0 अधिनियम द्वारा प्रदत्त अधिकारों के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश में माल एवं सेवा की आपूर्ति पर देय कर को जमा कराना।
- नॉन-जी0एस0टी0 गुडस पर वैट अधिनियम के अन्तर्गत देय कर को जमा कराना।
- राज्य के उद्योगों को प्रोत्साहन देना।
- व्यापारियों के हितों की रक्षा करना।
संगठन:-
राज्य कर विभाग का संगठन मुख्यतः तीन भागों में विभक्त है। प्रथम प्रशासनिक/कर निर्धारण कार्य, द्वितीय न्यायिक कार्य तथा तृतीय प्रवर्तन कार्यों से सम्बन्धित है।
प्रशासनिक / कर मूल्यांकन कार्य
उ0प्र0 शासन के राज्य कर (पूर्व कर एवं निबन्धन) विभाग के अन्तर्गत राज्य कर विभाग है। वर्ष 2019-20 एवं वर्तमान में श्री आलोक सिन्हा राज्य कर के अपर मुख्य सचिव है। कमिश्नर, राज्य कर विभागाध्यक्ष है। उनके सामान्य प्रशासनिक नियंत्रण में विभाग का कार्य सम्पन्न होता है। वर्ष 2019-20 एवं वर्तमान में श्रीमती अमृता सोनी, कमिश्नर के पद पर कार्यरत है।
भौगोलिक वितरण:
विभागीय कार्यों के सुगमता से संचालन हेतु प्रदेश की भौगोलिक सीमा में राज्य कर विभाग 20 जोन, 45 संभाग तथा 436 खण्ड कार्यालयों में विभाजित है। विभागीय कार्यालय 93 स्थलों पर स्थापित हैं, जिन्हें राज्य कर मण्डल कार्यालय कहा जाता है। बड़े करदाताओं की सुविधा हेतु 21 कारपोरेट सर्किल सभी जोन में एवं एक आॅयल कारपोरेट सर्किल मुख्यालय पर स्थापित है।
पहली अपील:-
विभाग में कर निर्धारण आदेश के विरूद्ध प्रथम अपील दायर करने हेतु एडीशनल कमिश्नर ग्रेड-2 (अपील)के 56 न्यायिक सम्भाग विभिन्न् मण्डल कार्यालयों पर स्थापित हैं।
दूसरी अपील:
दिनांक 03.10.1980 में व्यापार कर अधिकरण की स्थापना के फलस्वरूप द्वितीय अपीलों का निरस्तारण व्यापार कर अधिकरण, उत्तर प्रदेश द्वारा किया जाता है, जिसका मुख्यालय लखनऊ में है। राज्य कर अधिकरण के उत्तर प्रदेश में 31 पीठें है। मा0 अध्यक्ष, राज्य कर अधिकरण उ0प्र0 इस कार्यालय के विभागध्यक्ष हैं।
वाणिज्यिक कर राजस्व संग्रह :
विगत वर्षों में राज्य कर राजस्व संग्रह निम्न प्रकार रहा हैः-
क्रम सं. | वर्ष | राजस्व संग्रह | गत वर्ष से धन में वृद्धि |
---|---|---|---|
1 | 2011-12 | 32996.82 | 8198.13 |
2 | 2012-13 | 34869.54 | 1872.72 |
3 | 2013-14 | 39624.06 | 4754.52 |
4 | 2014-15 | 42931.63 | 3307.57 |
5 | 2015-16 | 47690.96 | 4759.33 |
6 | 2016-17 | 51819.91 | 4128.95 |
7 | 2017-18 | 58738.12 | 6918.21 |
8 | 2018-19 | 70060.32 | 11322.20 |
9 | 2019-20 | 72931.36 | 2871.04 |
10 | 2020-21 | 80301.52 | 7370.16 |
11 | 2021-22 | 98107.04 | 17805.52 |
12 | 2022-23 | 107406.90 | 9299.86 |
13 | 2023-24 | 110345.96 | 2939.06 |
प्रवर्तन का काम :-
करापवंचन के प्रभावी नियंत्रण के लिये प्रदेशे के सभी 20 जोन में जोनल स्तर पर एडीशनल कमिश्नर गे्रड-2 (वि0अनु0शा0/प्रवर्तन) के कार्यालय स्थापित है। इनके अधीन सम्भागीय स्तर पर ज्वाइण्ट कमिश्नर (वि0अनु0शा0) के कार्यालय है। इन सभी कार्यालयों से अपने-अपने अधिक्षेत्र के सचलदल तथा वि0अनु0शा0 इकाईयों के कार्य नियंत्रित व सम्पादित होते हैं।
प्रदेश में 148 सचलदल इकाईयाँ सभी जोनल कार्यालयों में तथा 02 राज्य कर मुख्यालय पर कुल 150 सचलदल इकाईयाँ एवं 45 विशेष अनुसंधान शाखा की प्रवर्तन इकाईयाॅं कार्यरत है।
पंजीकृत व्यापारियों के लिए मुख्यमंत्री व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना:-
- इस योजना के अन्तर्गत विभाग में पंजीकृत सभी व्यापारी स्वतः बीमित माने जाते हैं। इससे सम्बंधित प्रीमियम का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
- इस योजना के अन्तर्गत पंजीकृत व्यापारी की हत्या व दुर्घटना में मृत्यु/आंशिक व पूर्ण विकलांग हो जाने की स्थिति में पंजीकृत व्यापारी के नामिनी/उत्तराधिकारी/स्वयं व्यापारी को बीमित धनराशि का भुगतान किया जाता है।
- वर्ष 2017-18 में उक्त योजना हेतु दिनांक 15.06.2017 से दिनांक 14.06.2018 तक अर्थात एक वर्ष हेतु दि ओरिएन्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 लखनऊ का चयन किया गया। इस अवधि में पात्र 115 व्यापारी के परिजन को इस बीमा कम्पनी द्वारा भुगतान किया जा चुका है।
- बीमित धनराशि दिनांक 27.10.2017 से रू0 5 लाख से बढ़ाकर रू0 10 लाख किया गया है।
- दिनांक 27.10.2017 से दिनांक 14.06.2018 तक के प्राप्त दावों में रू0 5 लाख का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा तथा रू0 5 लाख का भुगतान शासन की स्वीकृति के उपरान्त विभाग द्वारा किया जा रहा है।
- दिनांक 15.06.2018 से विभाग द्वारा ही उक्त बीमा योजना संचालित है, जिसमें लाभार्थी को विभाग द्वारा रू0 10 लाख की धनराशि शासन से स्वीकृत कराकर दी जा रही है।
- वर्ष 2019-20 में 143 व्यापारी के परिजन लाभान्वित हो चुके हैं।