जी0एस0टी0 की मुख्य विशेषताओं को
निम्न प्रकार समझा जा सकता
है -
- वर्तमान में वस्तुओं के
निर्माण, उनकी बिक्री तथा
सेवांए उपलब्ध कराने के बिन्दु
पर करदेयता है, जबकि इसके विपरीत
जी0एस0टी0 में वस्तुओं अथवा
सेवाओं की आपूर्ति पर करदेयता
होगी। उदाहरणार्थ वर्तमान
में यदि किसी निर्माता ईकाई
का वार्षिक टर्नओवर रु0 डेढ़
करोड़ से अधिक है तो उसे
केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग
में पंजीकृत होना आवश्यक होता
है तथा उसके उत्पादित माल के
निर्माण पर केन्द्रीय उत्पाद
शुल्क देय होता है तथा बाद के
बिक्री के प्रत्येक चरण में
इस वस्तु पर राज्यों का वैट देय
होता है, जबकि सेवाएं उपलब्ध
कराने पर सेवा कर केवल केन्द्र
सरकार को देय होता है। वस्तु एवं
सेवा कर प्रणाली में वस्तुओं
अथवा सेवाओं की प्रत्येक चरण
में की गयी पूर्ति पर वस्तु एवं
सेवा कर देय होगा । यदि यह पूर्ति
राज्य के भीतर है तो प्रान्तीय
वस्तु एवं सेवा कर (SGST) तथा
केन्द्रीय वस्तु एवं सेवाकर (CGST)
देय होगा। यदि यह पूर्ति
अन्तरराज्यिक है तो एकीकृत
वस्तु एवं सेवा कर (IGST) देय होगा।
- वस्तु एवं सेवा कर एक गन्तव्य आधारित उपभोग कर होगा, जबकि वर्तमान प्रणाली उत्पादन आधारित प्रणाली है अर्थात वर्तमान प्रणाली में कर उस राज्य को प्राप्त होता है जहाँ से उत्पादित माल की बिक्री होती है।
परन्तु वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली में यह कर अंन्तिम रुप से उस राज्य को स्थानान्तरित हो जायेगा जहाँ इस माल का अन्तिम रुप से उपभोग होगा। इससे उपभोक्ताओं की वृहद संख्या होने के कारण उत्तर प्रदेश को लाभ होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
यद्यपि प्रति व्यक्ति आय कम होना इस लाभ को सीमित करेगा
- यह एक दोहरी जी0एस0टी0 प्रणाली है जिसमें केन्द्र एवं राज्य द्वारा समान कर आधार पर करारोपण होगा। प्रान्तीय बिक्री पर केन्द्र द्वारा लगाई जाने वाली जी0एस0टी0
CGST कही जाएगी जबकि उपरोक्त पर राज्य द्वारा लगाई जाने वाली जी0एस0टी SGST होगी।
- यह मानवीय उपभोग हेतु शराब तथा पांच पेट्रोलियम प्रोडक्ट पेट्रोलियम क्रुड, पेट्रोल, हाईस्पीड डीजल, नेचुरल गैस तथा ए0टी0एफ0 को छोड़ कर सभी वस्तुओं की आपूर्ति पर आरोपित होगा। यह कुछ निर्दिष्ट सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाओं पर आरोपित होगा।
- तंबाकू और तंबाकू उत्पादों को जी0एस0टी0 के अधीन किया जाएगा। इसके अलावा केन्द्र सरकार इन उत्पादों पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क भी लगा सकती है।