- पारित IGST विधि 9 अध्यायों में है जिसमें 25 धाराएं हैं। अधिनियम में वस्तुओं
की आपूर्ति का स्थान निर्धारित करने हेतु विधियॉं हैं। जहॉं आपूर्ति में वस्तुओं का
स्थानान्तरण होना है, वहॉं आपूर्ति का स्थान वह जगह होगी जहॉं
प्राप्तकर्ता को देने हेतु संव्यवहार अन्तिम रूप से समाप्त होता है। जहॉं
आपूर्ति में वस्तु का स्थानान्तरण नहीं होता है तो आपूर्ति का स्थान वह होगा जहॉं
वस्तु की आपूर्ति प्राप्तकर्ता को दी गई हो। वस्तु को एकीकृत कर स्थापना करने अथवा
किसी मशीन के किसी स्थान पर लगाकर देने पर आपूर्ति का स्थान स्थापना का स्थान होगा।
किसी वाहन में यात्रा के दौरान वस्तु के स्थानान्तरण पर आपूर्ति का स्थान वह जगह
होगी जहॉं माल बोर्ड हेतु लिया जाता है।
- सेवाओं की आपूर्ति के स्थान सम्बन्धी प्राविधान भी इस विधि में प्राविधानित है। कुछ निर्धारित अपवादों के अतिरिक्त यदि सेवा की आपूर्ति पंजीकृत व्यापारी को होती है तो प्राप्तकर्ता पंजीकृत व्यापारी का स्थान आपूर्ति का स्थान होगा। यदि यह आपूर्ति अपंजीकृत को होती है परन्तु अपंजीकृत का पता रिकार्ड पर है तो अपंजीकृत का स्थान आपूर्ति का स्थान होगा। अपंजीकृत का पता उपलब्ध न होने पर आपूर्ति का स्थान सेवा प्रदाता का पता होगा। IGST लॉं में अपवाद नियमों, जो अचल सम्पत्ति, रेस्टोरेन्ट कैटरिंग, ट्रेनिंग, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेले, परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा तथा वित्तीय सेवाओं हेतु लागू होगे, का भी प्राविधान है।
- IGST विधि IGST की ITC के एक दूसरे में से भी लाभ लेने की व्यवस्था करती है। यदि IGST की क्रेडिट का लाभ CGST के भुगतान हेतु लिया जाता है तो केन्द्र सरकार उतनी रकम IGST खाते से CGST खाते में स्थानान्तरित कर देगी। इसी प्रकार SGST में IGST से क्रेडिट लेने पर केन्द्र सरकार सम्बन्धित राज्य सरकार के खाते में उतनी रकम स्थानान्तरित कर देगी। विधि में IGST में प्राप्त कर के केन्द्र तथा राज्य के बीच बंटवारे तथा प्राप्त राशियों के उनके बीच समायोजन का प्राविधान भी है। CGST विधि के अनेक प्राविधान यथा पंजीयन, मूल्यांकन, कर निर्धारण, आडिट, निरीक्षण, जब्ती, अपील आदि IGST में भी उसी रूप में लागू होगे।